एमसीडी (नाॅर्थ) की कमिश्नर वर्षा जोशी और डीसी वेदिका रेड्डी ने मौके पर पहुंचकर जांच की। दोनों अधिकारी बिल्डिंग के अंदर भी गईं, जिसके बाद वे वापस नीचे आ गईं। दोनों ने बिल्डिंग की ऊंचाई पर विशेष रूप से नजर डाली। 43 लोगों की मौत के लिए कौन जिम्मेदार है, जब यह सवाल वर्षा जोशी से किया गया ताे वे कोई जवाब दिए ही वहां से निकल गईं।
इनलू की बेटी ने कहा था अब काम मत करो, वह कुछ दिन और करना चाहते थे
आदाब- इनलू और उनके दामाद ने एक साथ दम तोड़ दिया, अब बेटी के आंसू थम नहीं रहे हैं
इनूूल (60) सीतामढी के रहने वाले थे। वह अपने दामाद अब्बास (33) के साथ मजदूरी कर परिवार का भरण पोषण कर रहे थे। इनूल की 5 बेटियां है। सबसे छोटी बेटी ने 15 दिन पहले मिलने पर उनसे कहा था कि अब शरीर जबाव देने लगा है,अब काम मत करो। लेकिन दामाद के सहयोग से वह काम कर पा रहे थे। उन्होंने कुछ दिन और काम करने को कहा था। देर रात कीरब 2.30 बजे तक उन्होंने काम किया था। बाद में एक ही कमरे में दाेनों सो गए। शोर दामाद ने उठकर ससुर को जगाने की कोशिश की थी लेकिन उठ ही नहीं पाए। हादसे वाले दिन में दामाद और ससुर ने आखिरी सांस एक साथ ली। इनूूल की अभी तक तीन बेटियों की शादी हुई है, दो की बाकी थी। एक बेटी के लिए रिश्ता देख लिया था, लेकिन पक्का नहीं किया था। मार्च/अप्रैल तक कुछ रुपए जमा करके घर जाना था। रिश्ता पक्का कर एक बेटी की शादी करनी थी। - आदाब
गांव में 3 महीने पहले ही बेटी ने जन्म लिया था, उसे भी नहीं देख पाया साजिद
बाजिद - परिवार में पत्नी, दो बेटियां और एक बेटा है, फरवरी में गांव जाने वाला था साजिद
साजिद घर से 4 महीने पहले ही दिल्ली अाया था। लेकिन फैक्ट्री में काफी दिनों से काम कर रहा था। वह परिवार में अकेला कमाने वाले था। परिवार में पत्नी, दो बेटियां एक बेटा है। बेटी को देखने के लिए फरवरी महीने में घर जाना था। हादसे के समय उसने कमरे से बाहर निकलने के लिए खिड़की को खोलने की बहुत कोिशश की, लेकिन खुल नहीं पाई। फिर धुंए की वजह से बेहोश होकार वहीं गिर गया। बाद में उसे जब अस्पताल लाया गया तो उसने दम तोड़ दिया। साजिद की पत्नी सहनाज ने 3 महीने पहले ही बेटी गुलनाज को जन्म दिया था। लेकिन साजिद बेटी को देखे बिना है अग्निकांड हादसे का शिकार हो गए। एक सप्ताह पहले फोन कर कहा था कि अभी घर की आर्थिक हालत ठीक नहीं है। कुछ रुपए इक्टठा करके फरवरी महीने में घर आएगा। अपनी बेटी को भी देख लेगा और बेटे का जन्म दिन भी मना लेगा। बेटे का जन्म दिन 17 फरवरी को है।- बाजिद
पिता ने सोने से पहले कहा था कि मेरे लिए जैकट लाएंगे, सब ख्तम हो गया
अली- पिता मुझे इंजीनियर बनाना चाहते थे, मैं उनका सपना हर हाल में पूरा करूंगा
मेरे पिता मुझे इंजीनियर बनाना चाहते थे। वे जब भी मोबाइल पर बात करते तो खूब पढ़ाई करने के लिए कहते थे। पिता जी जब भी घर आते थे तो मेरे लिए ट्रेन, हवाई जहाज जैसे खिलौने लेकर आते थे। अब मेरा एक मात्र मकसद इंजीनियर बन अपने पिता का सपना साकार करना है। पिता के साथ काम करने वाले साथी ने बताया था कि हादसे वाली रात डेढ़ बजे तक काम किया। फिर खुद ही खाना बनाकर खाया था। सब लोग सारे काम खत्म करके 2.30 बजे सो गए थे। सोने से पहले कहा था कल छुटटी है, बेटे के लिए लैदर की जैकेट लानी है। कई साथी देर रात तक करते रहे। कमरे के सभी साथी तीन बजे तक सो गए थे। आग लगने पर चीखें शेार शराबे में कई साथी ने झकझोर कर पिता को उठाया था। उठाने की कोशिश की थी। कमरे में धुंआ अधिक होने पर उठ ही नहीं पाए। मुझे नहीं पता कि मैं पिता के बगैर जिंदगी किस तरह गुजारूंगा। -अली अहमद
दामाद और 12 साल का बेटा-दोनों नहीं रहे, दो बेटे अस्पताल में भर्ती हैं
मेरा 12 साल का बेटा आदिल 2 साल पहले ही दिल्ली पढ़ाई के लिए आया था। दो बेटे परवेज और गुलरेज यहां पहले से काम करते थे। उनके साथ ही वह रहता था। मेरा दामाद इकलाक यहां डेढ़ महीने पहले ही काम पर आया था। रविवार सुबह बड़े बेटे परवेज का फोन आया कि आग लग गई है बचने का रास्ता नहीं है। हमने तुरंत ट्रेन पकड़ी और यहां आ गए। बेटे आदिल और दामाद इकलाक की मौत हो गई है। छोटे बेटे और दामाद की मौत के बारे में सुनकर सभी बहुत परेशान हैं। बेटे परवेज और गुलरेज दोनों घायल हैं और अस्पताल में भर्ती हैं। -मोहम्मद हकीम
(जैसा कि मृतक के परिजन ने धर्मंेद्र डागर को बताया)
और सोमवार को फिर लग गई आग
फायर डिपार्टमेंट के डायरेक्टर अतुल गर्ग ने बताया सुबह करीब सवा साढ़े सात बजे इस बिल्डिंग की तीसरी मंजिल से धुंआ बाहर निकलते देख किसी ने आग लगने की सूचना दे दी। मौके पर दमकल की दो गाड़ियां फौरन भेजी गई, और आग बुझा डाला।